मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद के वैज्ञानिक विकसित भारत / 2047 मिशन के तहत बायोडिग्रेडेबल कचरे से गैस और बिजली बनाकर पर्यावरण की रक्षा करने के लिए काम शुरू कर दिया है। इसके तहत उत्तरी, पूर्वोत्तर और दक्षिणी राज्यों में खाद्य अपशिष्ट और पौधों के अवशेष जैसे बायोडिग्रेडेबल कचरे को इकट्ठा कर ऊर्जा संसाधन का विकल्प खोजेंगे। यह जिम्मा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) ने विजन विकसित भारत / 2047 योजना के तहत एमएनएनआईटी को दिया है। इस प्रोजेक्ट में संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बीरेश्वर पॉल मुख्य अन्वेषक (पी.आई.) और अप्लाइड मैकेनिक विभाग के प्रो. अक्षय रंजन पॉल सह मुख्य अन्वेषक हैं। प्रो. पॉल ने बताया कि इसका उद्देश्य सामाजिक प्रासंगिकता के साथ इंजीनियरिंग नवाचार को जोड़ने वाला व्यावहारिक ज्ञान उत्पन्न करता है। [Hindustan 17-04-2025, Page No. 05]
जहां ज्यादातर लोग सिर्फ समस्याएं देखते हैं, वहीं कुछ लोग उन्हीं समस्याओं में समाधान तलाश लेते हैं। मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद के पूर्व छात्र हिमांशु चौरसिया और उनके साथी सौरभ यादव ने भी ऐसा ही किया। दोनों ने न केवल शिक्षा व्यवस्था की जर्जर होती हालत को देखा, बल्कि उसमें सुधार लाने की ठानी। इसी सोच से जन्म हुआ एक ऐसे स्टार्टअप का, जो न केवल शिक्षा की तस्वीर बदल रहा है, बल्कि तेजी से उभरते स्टार्टअप की दुनिया में पहचान बना चुका है। यह स्टार्टअप छह वर्ष में आठ करोड़ से ज्यादा नेटवर्थ की कंपनी बन गया है। स्टार्टअप ने दमदार काम व प्रयासों के जरिए शार्क टैंक आफ इंडिया से एक करोड़ रुपये का स्टार्टअप फंड प्राप्त किया है। [Dainik Jagran 17-04-2025, Page No. 01]
मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद के पूर्व छात्र हिमांशु चौरसिया व उनके साथी सौरभ यादव को स्टार्टअप कंपनी कोग्रेड को शार्क टैंक ऑफ इंडिया से एक करोड़ रुपये का स्टार्टअप फंड मिला है। हिमांशु ने बताया कि 2019 में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने स्टार्टअप कोग्रेड की नींव रखी, जो अब आठ करोड़ रुपये से अधिक नेटवर्थ की कंपनी बन चुकी है। हिमांशु ने बताया कि एमएनएनआईटी में अध्ययन के दौरान उन्होंने देखा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव में कई स्कूल बंद हो रहे हैं, तभी उन्होंने अपना स्टार्टअप शुरू करने का निर्णय लिया। [Amar Ujala 17-04-2025, Page No. 10]
पूर्वोत्तर भारत भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है। वहां भूगर्भीय हलचल जिससे भूकंप का खतरा बना रहता है। ऐसे में अगर धरती के नीचे हलचल शुरू होते ही हमें इसका संकेत मिल जाए, तो हम समय रहते खुद को सुरक्षित कर सकते हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अब इस सवाल का जवाब खोजने के बेहद करीब है। इस खास प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे हैं मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद के डॉ. रामजी द्विवेदी और (आइआइएसईआर) पुणे के डॉ. चंद्रकांत ओझा। [Dainik Jagran 30-03-2025, Page No. 01]
मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद के पुरा छात्र शोधकर्ता कमल रुद्र नैनोशीट ट्रांजिस्टर तकनीक के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। न्यूयार्क के आइबीएम रिसर्च में इस तकनीक पर काम कर रहे रुद्र के शोध का मुख्य उद्देश्य नैनोमीटर आकार के ट्रांजिस्टर विकसित करना है, जो भविष्य के चिप्स को तेज, शक्तिशाली और ऊर्जा-कुशल बनाएंगे। [Dainik Jagran 27-03-2025, Page No. 01]-B
मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद में ‘‘हिंदी की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता एवं बौद्धिक विकास में भाषाई पोषण का महत्व’’ कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य हिंदी भाषा के बढ़ते महत्व, इसकी वैश्विक स्वीकार्यता और बौद्धिक विकास में भाषाई पोषण की भूमिका को समझाना था। मुख्य अतिथि मुक्त विश्वविद्यालय की स्वास्थ्य विज्ञान शाखा के पूर्व निदेशक डॉ. गिरिजा शंकर शुक्ल ने हिंदी भाषा के एतिहासिक महत्व और आधुनिक दौर में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक प्रो. रमाशंकर वर्मा ने की। [Dainik Jagran 27-03-2025, Page No. 04]-A
मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद के विज्ञानियों ने एक क्रांतिकारी तकनीक विकसित की है, जिससे खराब लिवर को ठीक किया जा सकेगा। इस तकनीक के तहत मेसेन्काइमल स्टेम सेल्स का उपयोग कर हेपेसाइट्स (लिवर की मुख्य कोशिकाएं) बनाने की प्रक्रिया अब आधे समय यानी केवल 14 दिनों में ही पूरी की जाती है। इस प्रक्रिया से लिवर की खराब कोशिकाओं को ठीक किया जा सकता है, जिससे भविष्य में लिवर के प्रत्यारोपण की आवश्यकता कम हो सकती है। इस शोध दल में एमएनएनआईटी प्रयागराज के निदेशक प्रो. आर. एस. वर्मा, आईआईटी मद्रास के संतोष गुप्ता, नार्वे के ओस्लो विश्वविद्यालय से डॉ. जोवाना विसेवेक सहित कई विज्ञानी शामिल हैं। प्रमुख शोधकर्ता और एमएनएनआईटी के निदेशक प्रो. आर. एस. वर्मा बताते हैं कि इस प्रक्रिया से तैयार लिवर का ढांचा एक प्राकृतिक ढांचे की तरह काम करता है, जिस पर स्टेम सेल को बढ़ाया जा सकता है। प्रो. आर. एस. वर्मा ने बताया कि शोध में लिवर ट्रांस्प्लांट के दौरान निकाले गए पुराने लिवर का उपयोग किया गया। लिवर से रक्त, कोशिका, टिशू का साफ कर बैक्टीरिया और वायरस से मुक्त किया गया और फिर स्टेम सेल व ग्रोथ फैक्टर डालकर कृत्रिम लिवर टिशू विकसित किया गया। वह कहते हैं कि यह शोध यकृत प्रत्यारोपण और पुनर्जीवन उपचार के लिए नई आशा है। लिवर फेल्योर, हेपेटाइटिस और अन्य यकृत रोगों के उपचार की प्रभावशीलता बढेगी और लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत कम होने से लाखों मरीजों को जीवनदान मिल सकता है। [Dainik Jagran 26-03-2025, Page No. 01]
पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन (लैंड स्लाइड) से होने वाली जान माल की हानि को बचाने के लिए मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद ने इसरो के साथ मिलकर एक नए साफ्टवेयर की खोज किया है। यह सॉफ्टवेयर सेटेलाइट के डाटा का अध्ययन करके लैंड स्लाइड की संभावनाओं को तलाशने का काम करेगा। एमएनएनआईटी के क्षेत्रीय भू-गणित केंद्र के डॉ. रामजी द्विवेदी, इसरो के वैज्ञानिक डॉ. तापस राजन मार्धा और शोध छात्र विपिन मौर्या इस प्रोजेक्ट पर वर्ष 2018 से कार्य कर रहे हैं। डॉ. रामजी द्विवेदी ने बताया कि इसरो के साथ मिलकर एक सॉफ्टवेयर बना रहे हैं, जो सेटेलाइट के डाटा का अध्ययन कर लैंड स्लाइड के होने की संभावनाओं को तलाशेगा। [Amar Ujala 26-03-2025, Page No. 09]
जब इंसान कुछ करने की ठान ले, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया शिवानी मिश्रा ने, जो न सिर्फ खुद के लिए रास्ता बना रही हैं, बल्कि और भी कई महिलाओं को घर बैठे कमाने का मौका दे रही है। मोतीलाल नेहरु राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद में आयोजित दो दिवसीय प्रयागराज स्टार्टअप समिट 2.0 में ऐसी कई कहानियां देखने और सुनने को मिली, जहां यंग इनोवेटर्स ने अपने शानदार और अनोखे आइडियाज पेश किए। इस समिट में सिर्फ शहर से ही नहीं, बल्कि दूर-दराज से भी लोग स्टार्टअप्स लेकर पहुंचे थे। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने कुछ नए उद्यमियों से बात की और उनकी जबरदस्त जर्नी के बारे में जाना। [I Next 19-03-2025, Page No. 04]
इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट के छात्र वर्नाक्यूलर बिजनेस बॉट्स ऑन व्हाट्सएप नाम से चैटबॉट बना रहे हैं जो छोटे व्यवसायों के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है। खास बात यह स्टार्टअप स्थानीय भाषाओं में उत्तर देने में सक्षम होगा। यह चैटबॉट दुकानदार को यह भी बताएगा कि कौन सा सामान गोदाम में हैं या नहीं। एमएनएनआईटी में आयोजित समिट 2.0 में इस स्टार्टअप को दूसरा स्थान हासिल हुआ है। समापन समारोह में इस स्टार्टअप के लिए पचास हजार रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया। [Hindustan 19-03-2025, Page No. 04]